Wednesday, 29 January 2020

ख़्वाब

टूट गया जो ख़्वाब, जोड़ सकता नहीं मै,
नए ख्वाबों की ताबीर रोक सकता नहीं मै।

उम्मीद की डोर पर चला जा रहा हूं,
इस डोर का छोर पर देख सकता नहीं मै।।

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