Thought Glue
Wednesday, 29 January 2020
चाह
ज़िंदगी तुझे जीना चाहता हूं,
गाना और गुनगुनाना चाहता हूं।
ख़्वाब बचपन वाले फिर पालना चाहता हूं,
रोज़ कुछ नया बन जाना चाहता हूं।
बचा है इंसान मुझमें अब भी,
खुद को यकी दिलाना चाहता हूं।।
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