Saturday 18 August 2018

मैं अभी चला नही

अभी अस्त हुआ नही,
अभी तृप्त हुआ नही।।

जब दिखा अनंत अंत,
हुआ शुरू वही कही।।

तुम रुके रुके से हो,
मैं अभी चला नही।।

सांझ कुछ ढली सी है,
मैं अभी ढला नही।।

ज्ञान से ही ज्ञान को,
ढूंढ़ता चला यू ही कहीं।।

तुम रुके रुके से हो,
मैं अभी चला नही।।

खत्म सा सफर हुआ,
समझ लिया पड़ाव ही।।

आशाओं के मोड़ पर,
शुरू नया सफर यू ही।।

तुम रुके रुके से हो,
मैं अभी चला नही।।

Wednesday 15 August 2018