अतृप्त मन कर जतन,
बढ़ रहा कदम कदम,
शेष की आस में,
अवशेष के साथ में,
तृप्ति की राह में,
अतृप्त से ये कदम,
मै चल रहा सहम सहम,
मै चल रहा सहम सहम।।
अतृप्त मन कर जतन,
बढ़ रहा कदम कदम,
शेष की आस में,
अवशेष के साथ में,
तृप्ति की राह में,
अतृप्त से ये कदम,
मै चल रहा सहम सहम,
मै चल रहा सहम सहम।।
हार कर बार बार
हार के हार को
कर रहा मैं नमन।
जीत की राह में
पुष्प ये हार का
कर रहा मैं वरण।
वीर हो विराट हो,
अग्नि का ताप हो,
वायु से प्रचंड तुम,
राष्ट्र का नाद हो,
कृतज्ञ मन करे नमन,
हृदय पुष्प स्वीकार हो।
🌹अभिनंदन🌹🙏